ब्याज माफ़ी और लोन मोरेटोरियम पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
- Posted by SSdigitalBE
- On March 24, 2021
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आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा की करोना महामारी की वजहे से केवल व्यापारियों और कंपनियों को ही नुकसान नहीं हुआ है बल्कि सरकार के ऊपर भी काफी दबाव रहा है। जहाँ एक और GST कलेक्शन में कमी की वजहे से सरकार की आमदनी कम हुई वहीँ इस महामारी से निपटने के लिए किये गए इंतजामों पर भी अच्छा खासा खर्चा किया गया। इसे से पहले भी जब सरकार को बोला गया की ब्याज पर ब्याज (चक्रवर्ती ब्याज) न लगाया जाये तो भी सरकार ने 2 करोड़ से नीचे के सभी लोनो पर ( इंडिविजुअल लोन, MSME लोन्स, होम लोन्स, कार लोन्स अदि ) ब्याज माफ़ किया और इसपर आने वाले सभी खर्च (लगभग 7 हजार करोड़ ) को सरकार ने खुद वहन किया।
सभी बैंकों व वितये संस्थानों को अपने खाता धारको व जमा कर्ताओं अदि को उनके जमा पर ब्याज देना ही होता है, अब यदि उन्हें अपने लोन्स पर ब्याज नहीं मिलेगा तो वो आगे लोन कैसे देंगे ? इसके अलावा ब्याज माफ़ी और लोन मोरेटोरियम अदि आर्थिक मुद्दे हैं जिन पर सरकार व RBI सब मिलकर अच्छे से निर्णय लेते हैं, सुप्रीम कोर्ट बार बार इन मुद्दों पर सरकार को हिदायत नहीं दे सकता। सरकार ने विभिन सेक्टरों को प्रयाप्त राहत पैकेज किया है। कोर्ट केवल यह तय कर सकता है की यदि सरकार ने कोई पालिसी बनायीं है तो वो कानून के अनुसार है या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया की “न तो ब्याज को पूरी तरहे से माफ़ किया जा सकता और न ही लोन मोरेटोरियम को और 6 महीने के लिए बढ़ाया जा सकता।” इसे फैसले का बैंको और वितये संस्थानों ने स्वागत किया है लेकिन बाकि सेक्टर्स जैसे रियल एस्टेट आदि पर इसका बुरा प्रभाव पद सकता है।
दरअसल सरकार ने करोना महामारी के दौरान बैंक कर्जदारो को बड़ी राहत दी थी, पिछले साल RBI ने लोन देने वाली कम्पनयों व बैंको को मोरेटोरियम देने की बात कही थी जिसे 31 अगस्त 2020 तक बढ़ाया गया था। इसके बाद भी सुप्रीम कोर्ट ने सितम्बर 2020 में लोन देने वाली कम्पनयों व बैंको को यह आदेश दिया था की जो अकाउंट 01-03 -2020 को NPA (Non Performing Asset ) नहीं था उसे आगे भी NPA न दिखया जाये, जब तक की अगला आर्डर नहीं दिया जाता।
साल 2020 में मार्च-अगस्त के दौरान मोरेटोरियम योजना का लाभ बड़ी संख्या में लोगों ने लिया, लेकिन उनकी शिकायत थी कि अब बैंक बकाया राशि पर ब्याज के ऊपर ब्याज लगा रहे हैं. यहीं से मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मामले पर सवाल पूछा था कि स्थगित EMI पर अतिरिक्त ब्याज क्यों लिया जा रहा है, तो सरकार ने अपने जवाब में कहा कि 2 करोड़ रुपए तक के कर्ज के लिए बकाया किश्तों के लिए ब्याज पर ब्याज नहीं लगाया जाएगा.
CA Mahender Gupta, CFO SV Creditline Ltd. (http://svcl.in/)
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