आयकर अधिनियम में 1 सितंबर 2019 से लागू होने वाले बदलाव
- Posted by SSdigitalBE
- On September 10, 2019
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आयकर अधिनियम में कोई भी बदलाव सामान्यतया बजट पेश होने के बाद नए वित्तीय वर्ष में 1 अप्रैल से ही प्रभावी होता है । लेकिन लेखा वर्ष 2019-20 का पूर्ण बजट इस साल लोकसभा चुनाव के बाद जुलाई में ही पेश हो सका था इसके चलते आयकर प्रावधानों में कई परिवर्तन एक सितंबर 2019 से लागू होंगे।
आईए, हम आयकर अधिनियम में हुए महत्वपूर्ण परिवर्तनों का विश्लेषण करते है जो एक सितंबर 2019 से लागू हो चुके है।
1) संपत्ति के क्रय पर अतिरिक्त मदो के भुगतान पर स्त्रोत पर कर की कटौती (टीडीएस): एक सितंबर से धारा 194IA में बदलाव किया गया है। अब किसी संपत्ति की खरीद पर टीडीएस की गणना करने हेतु क्लब मेंबरशिप फीस, कार पार्किंग फीस, बिजली का बिल , पानी का बिल या अन्य कोई भी खर्चा जो संपत्ति की खरीद से संबंधित हो उसे भी सम्मिलित करना होगा। यहाँ उल्लेखनीय है कि टीडीएस 1 प्रतिशत की दर से तभी लागू होता है जब संपत्ति का मूल्य 50 लाख रुपये से अधिक हो। अतः 1 सितंबर से टीडीएस की गणना हेतु उपरोक्त मदो को भी शामिल करना होगा।
2) बैंक एकाउंट से नकद निकासी पर स्त्रोत पर कर की कटौती (टीडीएस): सरकार ने आयकर अधिनियम में एक नई धारा ,धारा 194N लागू की है। इस धारा के अंतर्गत किसी वित्तीय वर्ष के दौरान बैंक, को-ऑपरेटिव बैंक या पोस्ट ऑफिस के एकाउंट में से एक करोड़ रुपये से ज्यादा नकद निकासी करने पर 2 प्रतिशत की दर से टीडीएस प्रभावी होगा। इस धारा के प्रावधान 1 सितंबर 2019 के बाद की गई नकद निकासी पर ही लागू होंगे। धारा 194N को लागू करने के पीछे मुख्य उद्देश्य ज़्यादा मूल्य के नकद व्यवहारो को हतोत्साहित करना है।
3) कॉन्ट्रैक्टर और प्रोफेशनल्स को भुगतान पर स्त्रोत पर कर की कटौती (टीडीएस): सरकार ने आयकर अधिनियम में एक नई धारा ,धारा 194M लागू की है। इस धारा के अंतर्गत एक सितंबर से किसी व्यक्ति (इंडिविजुअल) द्वारा कॉन्ट्रैक्टर या प्रोफेशनल को 50 लाख रुपये वार्षिक से अधिक भुगतान करने पर 5 प्रतिशत की दर से टीडीएस लागू होगा। इसका मतलब यह है कि अगर कोई व्यक्ति घर की मरम्मत, या विवाह या किसी अन्य काम के लिए किसी कॉन्ट्रैक्टर या प्रोफेशनल को इस सीमा से ज्यादा भुगतान करता है तो इस पर 5% की दर से टीडीएस प्रभावी होगा।
4) जीवन बीमा के करयोग्य भाग पर अधिक दर से स्त्रोत पर कर की कटौती (टीडीएस): जीवन बीमा पॉलिसी के परिपक्व होने पर मिली राशि अगर करयोग्य है तो कुल आय वाले हिस्से पर 5 प्रतिशत की दर से टीडीएस लागू होगा जबकि पहले इस पर टीडीएस की दर 1 प्रतिशत ही थी। कुल आय वाले हिस्से की गणना हेतु कुल प्राप्त हुई राशि में से भुगतान किए गए बीमा प्रीमियम को घटा दिया जाता है।
5) पैन नंबर के बदले आधार नंबर का हो सकता है उपयोग: बजट 2019 में एक और महत्वपूर्ण घोषणा की गई है और वह है पैन और आधार की इंटर-चेंजिएबिलिटी यानी आपस में अदला-बदली। हालांकि, पैन के बदले आधार को कुछ तय ट्रांजेक्शन के लिए ही इस्तेमाल किया जा सकता है। उदाहरण के लिए जिन व्यक्तियों के पास पैन नंबर नहीं है वो 50000 रुपये से अधिक की नकद राशि जमा करवाने पर वो पैन नंबर के बदले अपना आधार नंबर भी कोट कर सकते है।
6) बैंकों को कम मूल्य के व्यवहारो की भी देनी पड़ सकती है जानकारी: अभी बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को एक सीमा तक किए गए ट्रांजेक्शन की ही जानकारी आयकर विभाग को देनी पड़ती थी। यह सीमा 50,000 रुपये या इससे अधिक की होती थी। लेकिन, अब सरकार ने इसका दायरा विस्तृत कर दिया है। एक सितंबर से बैंकों को इससे कम मूल्य के ट्रांजेक्शन की भी जानकारी देनी पड़ सकती है।
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